बहुत समय पहले से ही
विशालकाय श्यामवर्णी जंगली हाथी
भारत देश के जंगलों में
स्वछंद विचरण करते थे
उनके झुंड में पता नही क्योंकर
एक था श्वेतरंगी हाथी
ऑखें थी उसकी उदार
शांत स्वभाव, विवेकशील और उच्चवंशीय
अपने सहोदरों के बीच
बिल्कुल अलग थी उसकी पहचान
यह उस समय की बात है जब
सम्मानित करने के लिए मुझे
भारत देश के राजा ने
एक हाथी दिया भेंट में
"मुझे यह हाथी क्यों?" - मैंने पूछा
"क्योंकि हाथी होता है बड़े दिलवाला" - उन्होंने कहा
हाथी ने झुक कर किया मेरा अभिनन्दन
और मैंने भी उसे सलाम किया क्योंकि श्वेतवर्णी हाथी
असल में थी श्वेतवर्णी हथिनी
शब्द थे मेरे शांत और सदभाव से भरे
हाथी पर सवार, परिदेश भारत में
भ्रमण करते समय बहुत शानदार लग रहा था मैं
कहॉं-कहॉं नहीं गए और
हर सुख - दुख में साथ रहे हम दोनों
ऐसा भी हुआ कि गाते हुए
किसी की छत के नीचे से जब गुजरे
तो अपनी छतो से कूद पड़ी महिलाएं
तोड़कर लाज शर्म की दीवारें
कहना पड़ेगा कि श्वेतवर्णी हाथी
कुछ ज्यादा ही लयात्मक था
दुनियां का नक्शा तो आपने देखा होगा
तब तो जानते होगें
भारत देश में बहती है पावन गंगा
और आम रस का स्वाद लेते हुए
मैं और श्वेतवर्णी हाथी
मस्त खोए रहे गंगा के तीरे
भूख, नींद, प्यास और स्वास्थ
सब तजकर घूमता रहा तट पर
तब फिर मुझे कहा ''तुम्हारा सफेद
हाथी, जा मिला है झुंड से अपने''
और उसके बिना बहुत दिन रहा मैं उदास
फिर एक बार भारत नरेश
से उपहार में मिला मुझे
श्वेतवर्णी हाथी
सजावटी छड़ी के रूप मे
बना हुआ था जो कि हाथी के ही दांत से
सुना है कि अच्छा शगुन होता है घर में सात हाथिओं का होना
अलमारी में जहां से रक्षा करे वह हमारी हर दुर्भाग्य से
पर बेहतर होगा कि श्वेतवर्णी हाथी स्वछंद विचरण करे साथ सहोदरों के
फिर न भी लाये मेरे लिए वे अगर खुशियां, तो भी कोई बात नहीं
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