ओइ साम्राज्यमे जतऽ सभ किछु छलै शान्त
नै कोनो हहारो, नै कोनो युद्ध बा सन्न कऽ दैबला बात
एकटा राक्षसी प्राणी आएल जेना कोनो उदाहरण
एकटा प्रकार, महीसक, बड़दक बा साँढ़क
राजाकेँ छलै उदर पीड़ा आ दम्मा
अपन खोंखीसँ मृत्यु सन डरसँ डरबैत
बिच्चेमे भयंकर राक्षस
खा लेलक लोककेँ, बा उठा लेलक
राजा तीनटा राजाज्ञा निकाललक जे एना छल:
“हम सभ आब बनैय्या प्राणीकेँ खतम करी,
जे ई करबाक साहस करत, हम सकारै छी
ओ हमर बेटी, राजकुमारीकेँ पुरहित लग लऽ जाएत।“
ओइ साम्राज्यमे पकड़ैबलासँ व्यथित
कतौ सिमान लग
एकटा बेजोड़ तीर-धनुष बला रहै छल
जे अपन अनादृत-मस्त जीवनसँ आनन्दित छल
किछु लोक छला, चर्मधारी, जमीनपर
जिनकर भोज चलि रहल छल उत्साहसँ
जखन हबामे पसरल दुन्दुभीक अबाज
आ धनुर्धारीकेँ लऽ जाएल गेल राजा लग
“हम अहाँकेँ नैतिकतापर भाषण नै देब, यौ अहाँ छबारी सभ”,
राजा कहलक जानवर सन खखसैत,
“जँ अहाँ बुते भऽ सकए मारब सम्भव ओइ पैघ रा़क्षसकेँ
लऽ जाएब अहाँ हमर राजकुमारीकेँ पुरहित लग”।
तीरंदाज कहलक: “अहाँक पुरस्कार एकदम्मे बेकार अछि!
ऐसँ तँ हमरा एक लबनी शराब चाही!
राजकुमारी लेल तँ किछुओ नै देब सम्भव,-
बनैय्या संग हम फरिछा लेब”।
राजा कहलक: “हँ, अहाँ राजकुमारीसँ बियाह करब,
आ नै तँ हम अहाँकेँ अखने जेलमे धऽ देब
सद्य: ई राजाक विधिसम्मत उत्तराधिकारिणी छी”।
“नै”,- ओ मुनसा कहलक,- “ऐ जिनगीमे तँ नै!”
ओइ अलबेलासँ राजा बहस कैये रहल छल
ओ पैघ बनचर, ओ राक्षस- बाप रे!-
खा गेल, लगभग सभटा मुर्गी आ जनीजातिकेँ
आ लगमे आबऽ लागल आब।
छोड़ि कऽ सभटा, ओ सभ मानि गेला शराबक गपपर, आ
ओ मारि देलक राक्षसकेँ आ भागि गेल शिकार संग।
एना ओ अनादृत तीरंदाजक केलक
राजा आ राजकुमारीकेँ बेइज्जत।
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